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वाराणसी। धार्मिक नगरी काशी में आज ऐतिहासिक पल देखने को मिला जब भारत के उपराष्ट्रपति श्री राधाकृष्णन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रथयात्रा स्थित धर्मशाला नाट्यकोट्ट पहुंचे। दोनों विशिष्ट अतिथियों ने मिलकर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान पूरा परिसर “हर हर महादेव” और “जय श्रीराम” के जयकारों से गूंज उठा।
कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि —
> “भगवान श्रीराम द्वारा रामेश्वरम् धाम में स्थापित पावन ज्योतिर्लिंग और काशी में विराजमान भगवान आदि विश्वेश्वर एक-दूसरे के पूरक हैं। काशी विश्वनाथ और रामेश्वरम् दोनों भगवान शिव के दिव्य स्वरूप हैं, जो भारत की सनातन संस्कृति की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं।”

सीएम योगी ने आगे कहा कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा हमें जोड़ने का कार्य करती है, और काशी उसका केंद्रबिंदु है। उन्होंने प्रदेश सरकार की पहल पर चल रहे धार्मिक पर्यटन और आध्यात्मिक उत्थान से जुड़े कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया।

वहीं, उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने अपने उद्बोधन में धर्म, आस्था और व्यक्तिगत अनुभव से भरी भावनात्मक बातें साझा कीं। उन्होंने कहा —
> “भारत माता के श्रीकमल चरणों में मैं नमन करता हूं। धर्म को कभी-कभी संकटों का सामना करना पड़ता है, पर वह स्थायी नहीं होता। यह भवन इसका साक्षी है — कितने संकटों के बावजूद आज धर्म की विजय हुई है।”
उपराष्ट्रपति ने अपने जीवन का एक अनोखा प्रसंग साझा करते हुए कहा —
“लगभग 25 वर्ष पहले जब मैं काशी आया था, तब मैं मांसाहारी था। सन् 2000 में यहां गंगा मैया में स्नान करने के बाद मैंने शाकाहारी जीवन अपना लिया। यह काशी और गंगा मैया का ही प्रभाव है।”

कार्यक्रम के दौरान मंच पर उपस्थित संत-महात्माओं, विद्वानों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया।
धर्मशाला नाट्यकोट्ट का प्रांगण भक्ति, आध्यात्मिकता और गौरव से भर उठा।
काशी में यह आयोजन एक बार फिर यह संदेश दे गया कि — धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की आत्मा अटूट है और सदा विजयी रहेगी।











